Raju Theth Real Storys & Biography

सीकर, अलवर, नागौर में आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात अपराधी राजू ठेठ की गिरफ्तारी के बाद यह माना जा रहा था कि राजस्थान से गैंगवार खत्म हो चुका है, लेकिन हाल में हुई कुछ घटनाओं व जेल में बैठकर रची जा रही साजिशों ने पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. राजू ठेठ पर हत्या, लूट और हत्या के प्रयास के 28 से ज्यादा मुकदमे दर्ज है. कुख्यात आनंदपाल और राजू ठेठ की दुश्मनी सालों पुरानी है, दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हुआ करते थे



दोस्तों 1997 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेठ दोस्त हुआ करते थे. दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे. लेकिन 2005 में हुई एक घटना ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी. शराब ठेके पर बैठने वाले विजयपाल की राजू ठेठ से किसी बात पर कहासुनी हो गई. पुलिस फाइल के मुताबिक विवाद इतना बढ़ गया कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी. विजयपाल रिश्ते में बलबीर बानूड़ा का साला था. विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी हो गई, बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया.



2012 में पुलिस ने जयपुर से बलबीर बानूड़ा को गिरफ्तार कर लिया था. इसके 8 महीने बाद ही आनंदपाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों जेल में रहकर ही अपने आदमियों के द्वारा गैंग का संचालन कर रहे थे. इसके बाद वर्ष 2013 में राजू ठेठ भी पकड़ा गया. आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा ने सुभाष को राजू ठेठ की हत्या के लिए तैयार किया, सुभाष ने सीकर जेल में राजू ठेठ को गोली मारी जो उसके जबड़े में लगी और वह बच गया.



इसके बाद राजू ठेठ ने इसका बदला लेने के लिए बीकानेर जेल में बंद आनंदपाल पर अपने आदमियों से फायरिंग करवाई, जिसमें आनंदपाल तो बच गया था पर बानूड़ा चपेट में आ गया और जेल में ही उसकी मृत्यु हो गई. इस वारदात को अंजाम देने वाले राजू के आदमी को उसी वक्त जेल में पीट-पीटकर मार दिया गया था. इसके बाद पुलिस द्वारा किए गए एक एनकाउंटर में आनंदपाल मारा गया था. राजू ठेठ फिलहाल जयपुर जेल में बंद है और इसका भाई ओम ठेठ बीकानेर जेल में बंद है. अभी यह दोनों जेल में रहकर ही अपनी गैंग को चला रहे हैं.  तो कुछ ऐसी है राजू ठेठ की कहानी.