सालों तक कानून के लिए छलावा बने दिल्ली के सबसे बड़े गैंगस्टर नीरज बवाना का असली नाम नीरज सेहरावत है. इसका जन्म दिल्ली के बवाना गांव में हुआ था. इसने अपनी शिक्षा गांव के स्थानीय स्कूल से प्रारंभ की, लेकिन नीरज शुरू से ही पढ़ाई में अच्छा नहीं था. कम उम्र में ही उसे अफीम की लत लग गई थी, और उसी की जरूरत को पूरा करने के लिए उसने जुर्म की दुनिया में पहला कदम रखा. इसने अपनी पहली डकैती भिवानी हरियाणा में की थी. डकैती करते समय पकड़े जाने के बाद उसे तिहाड़ जेल में डाल दिया गया, जो कि उसके लिए काफी अच्छा साबित हुआ, क्योंकि तिहाड़ जेल में उसकी मुलाकात फजल-उल-रहमान से हुई. दोनों अच्छे दोस्त बन गए.
रहमान दिल्ली में दाऊद के लिए काम करता था. उसी ने नीरज को जबरन वसूली रैकेट के बारे में बताया था, यहीं से नीरज के मन में दाऊद की तरह बनने की इच्छा जागी. जेल से छूटने के बाद नीरज रहमान द्वारा बताए रास्ते पर चलने लगा. जेल से बाहर आने के बाद नीरज बवाना ने जबरन वसूली का धंधा स्टार्ट कर दिया. अगर कोई बिजनेसमैन पैसा देने से मना करता तो बवाना उसको मारने से भी पीछे नहीं हटता. 2013 में जब दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली एनसीआर के सबसे कुख्यात गैंगस्टर नीतू दाबोदिया को एक मुठभेड़ में मार गिराया, तो इस से सीख लेते हुए नीरज बवाना ने फैसला किया कि वह कभी पुलिस के साथ सीधी लड़ाई नहीं करेगा. इसके बजाय वह अपने राजनीतिक संबंधों से पुलिस को नियंत्रित करेगा
दोस्तों एक लाख रूपय की इनामी बदमाश नीरज ने 2004 में पहला कत्ल किया जब वह नाबालिग था. नीरज ने कुख्यात अमित भूरा को भरी कोर्ट में ना सिर्फ गोलियां चलाकर भगाया था, बल्कि पुलिस की एके-47 राइफल भी लूट ले गया. नीरज के लगातार बढ़ रहे आतंक को देखते हुए उस पर मकोका जैसी कड़ी धाराएं लगानी पड़ी थी. पुलिस के अनुसार नीरज बवाना को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने मध्य प्रदेश पुलिस और उत्तराखंड पुलिस के साथ मिलकर पिछले डेढ़ साल में कई ऑपरेशन किए थे. आखिरकार 2015 में पुलिस ने दिल्ली के सबसे बड़े गैंगस्टर नीरज बवाना को गिरफ्तार कर लिया.
दरअसल इस गैंगस्टर की गिरफ्तारी जबरजस्त खुफिया खबर के आधार पर हुई. पुलिस को खबर थी कि दिल्ली का यह मोस्ट वांटेड डॉन रात के अंधेरे में अपने घरवालों से मिलने बवाना पहुंच सकता है. और इनपुट इतना सटीक था की पुलिस के पास बवाना की कार का मेक और यहां तक रजिस्ट्रेशन नंबर मौजूद था. इसी खबर के अनुसार स्पेशल फोर्स "ऑपरेशन बवाना" को अंजाम देने के लिए तैयारी में लग जाती है. सबसे धाकड़ और माहिर पुलिस अफसरों की एक खास टीम तैयार की जाती है, और इस खुफिया खबर के मुताबिक टीम के सुपर कॉप रात के अंधेरे में घात लगाकर इस मोस्ट हॉन्टेड का इंतजार करने लगते हैं. करीब 35 मिनट का वक्त गुजर जाता है और फिर पुलिस को वही कार नजर आती है. स्पेशल सेल के तेज तर्रार ऑफिसर कार को घेर लेते हैं. उसी समय कार में बैठे बदमाश पुलिस पर फायरिंग स्टार्ट कर देते हैं, और पुलिस भी जवाबी कार्रवाई करती है, और कुछ ही देर में नीरज और उसके एक साथी को गिरफ्तार कर लिया जाता है. दोस्तों तो कुछ ऐसी है नीरज बवाना की कहानी.