मोनू दरियापुर का असली नाम भूपेंद्र है, जोकि बवाना के दरियापुर गांव में रहता था. इसके पिता का नाम फूल सिंह है. मोनू दरियापुर की स्टोरी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं. मोनू दरियापुर की जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब उसे उसके दोस्त और गैंगस्टर सत्यवान उर्फ सोनू दरियापुर की बहन राजरानी से मोहब्बत हुई. जब इनके प्यार की भनक परिवार वालों को लगी तो वो इसका विरोध करने लगे. परिवार द्वारा लगातार बढ़ते विरोध को देखते हुए दोस्तों के सहयोग से मोनू और राजरानी ने आर्य समाज मंदिर में जाकर शादी कर ली.
मोनू दरियापुर और राजरानी की शादी की वजह से दोनों परिवारों में दुश्मनी की शुरुआत हुई. इसी दुश्मनी की वजह से सोनू गैंग के लड़कों ने पंजाब बाग में मोनू और उसकी पत्नी राजरानी की गाड़ी पर हमला किया. इस हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और उनके ड्राइवर ब्रह्म सिंह की मौत हो गई. मोनू पर हुए हमले का बदला लेने के लिए उसकी गैंग के लोग भी सोनू के गैंग के लोगों का ढूंढ ढूंढ कर शिकार करने लगे.
इसी दौरान 9 जून 2009 को सोनू की गैंग ने मोनू के भाई सुधीर की नजफगढ़ के ढीचाऊ गांव के पास हत्या कर दी. भाई की हत्या से मोनू बिल्कुल बौखला गया. वह लगातार सोनू गैंग के लड़कों को ढूंढ ढूंढ कर मारने लगा. इसी दौरान मोनू को बवाना थाने ने अपराधी घोषित कर दिया और उसके ऊपर कई थानों में एक दर्जन के करीब मामले भी दर्ज हुए. दुश्मनी और खौफ के बाद मोनू ने राजनीतिक गलियारों में अपनी पकड़ बनानी शुरू की. इसके लिए मोनू ने कई हिंदू संगठनों से जुड़ी हरियाणा की साध्वी देवा ठाकुर से दोस्ती की और लगातार उसके प्रभाव का फायदा उठाते आगे बढ़ने लगा.
इसी दौरान मोनू ने भाजपा में एंट्री कर ली. इसी वजह से बवाना में उसका प्रभाव और अधिक बढ़ने लगा. अपने इसी प्रभाव और पैसों के बल पर मोनू ने मंत्रियों और बड़े नेताओं से संबंध बनाने शुरू कर दिए. भाई और ब्रह्म सिंह की हत्या और मोनू पर हुए चार बार हमले के बाद मोनू के वकील द्वारा हाईकोर्ट में अपील करके मोनू को पुलिस सुरक्षा दिलवाई गई. कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने मोनू को एक ए.एस.आई. और एक कांस्टेबल को उसकी सुरक्षा में तैनात किया.
मोनू के परिजनों के अनुसार 30 अप्रैल 2017 को मोनू अपने दोस्त अरुण के साथ खाना खाने के लिए निकला था. और उसी दौरान उसकी हत्या कर दी गई. पुलिस ने परिजनों को हत्या की सूचना भी नहीं दी. मोनू की हत्या की सूचना सोशल मीडिया पर चलने के बाद परिजनों को पता चला जिसके बाद पूरा परिवार मावली थाने पहुंचा. मोनू की हत्या के बाद सोनू फरार हो गया. दो दर्जन से ज्यादा मामलों में दिल्ली व हरियाणा पुलिस ने उस पर 5 लाख रूपय के इनाम की घोषणा कर दी थी.
अंततः सोनू को सितंबर 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने बताया कि जिस वक्त सोनू को पकड़ा गया उस वक्त वाह उसी आई-20 कार में था, जिसका इस्तेमाल 30 अप्रैल को मोनू दरियापुर की हत्या में किया गया था. उसके कब्जे से दो पिस्टल और 17 जिंदा कारतूस बरामद किए गए थे