2007 में आई एक फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला माया डोलास (Maya Dolas) की जिंदगी पर आधारित है. जिसमें विवेक ओबरॉय ने माया का किरदार निभाया था और अमृता सिंह ने उसकी मां रत्नप्रभा डोलास की भूमिका निभाई थी. माया डोलास (Maya Dolas) का जन्म 15 अक्टूबर 1966 को विठोबा और रत्नप्रभा के यहां हुआ था. माया उनकी ६ संतानों में से एक था. उसने मुंबई के ... से पढ़ाई पूरी की थी. 1980 में माया डोलास अशोक जोशी की गैंग में शामिल हो गया और खुद के दम पर उसने जल्द ही अच्छी पहचान बना ली थी.
अशोक जोशी की गैंग के लिए वह कंजूर गांव में बहुत से रैकेट चलाता था और इसी के साथ ही वह बायकुल्ला कंपनी से भी जुड़ा हुआ था. 25 साल की उम्र में ही मुंबई पुलिस कमिश्नर आफताब अहमद खान के हाथों 1991 में लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स शूटआउट एनकाउंटर में माया डोलास मारा गया था. लोखंडवाला कॉन्प्लेक्स उच्च मध्यम वर्गीय घरों का एक कॉम्प्लेक्स था जो मुंबई के अंधेरी में लोखंडवाला स्वाति में आता है.
1991 में दाऊद उसके आदमियों माया डोलास, दिलीप बुआ तथा चार अन्य लोगों के साथ उसी अपार्टमेंट में थे. जब मुंबई पुलिस ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया था मुंबई पुलिस का नेतृत्व आफताब अहमद खान कर रहे थे. कथित तौर पर कहा जाता है कि दाऊद ने ही उसके आदमियों को मारने की सुपारी पुलिस को दे रखी थी. 4 घंटे तक चले इस एनकाउंटर को काफी न्यूज़ चैनल पर प्रसारित किया जा रहा था. जिसमें माया डोलास को बदनाम किया जा रहा था.
एनकाउंटर के बाद कहा जाता है कि पुलिस को दो लाख लाख रूपय की अमानत मिली थी. लेकिन पुलिस डोलास के खिलाफ कोई सबूत पेश करने में नाकाम रही थी. पुलिस ने बहुत कोशिश की पर उन्हें डोलास के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. माया डोलस की मा फिल्म सूट आउट एंड लोखंडवाला के खिलाफ आवाज उठा कर कोर्ट में भी गई थी. उसके अनुसार फिल्म में उसके बेटे की छवि को गलत दिखाया गया है. उदाहरण के लिए फिल्म में उसने 9 साल की उम्र में ही अपने पिता को अपमानजनक मार दिया था. और 1997 में उनकी मृत्यु हो गई, साथ ही उसकी मां ने यह भी बताया कि माया डोलास ... की परीक्षा पास कर चुका था.
फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि रत्नप्रभा अपने बेटे को क्रिमिनल गतिविधियों को बढ़ाने में उसका साथ देती है. छोटा राजन ने भी फिल्म पर सवाल उठाए थे, और कहा था कि फिल्म में बहुत से तथ्यों को गलत तरीके से दिखाया गया है. इस सब के चलते प्रोड्यूसर को दोबारा फिल्म बनानी पड़ी, जबकि आफताब अहमद खान के अनुसार इस ऑपरेशन की वीडियो भी बनाया गया था, और सार्वजनिक जगहों पर दिखाया भी गया था. जबकि फिल्म के डायरेक्टर ने दावा किया है कि यह फिल्म पूरी तरह काल्पनिक है. हालांकि फिल्म में उनके नाम का उपयोग किया गया है.