दोस्तो 2013 में आई फिल्म शूटआउट एट वडाला (Shootout at wadala) मन्या सुर्वे (Manya Surve) की कहानी पर आधारित थी. जिसमें जॉन इब्राहिम ने मन्या सुर्वे (Manya Surve) का किरदार निभाया था. दोस्तों मन्या सुर्वे का जन्म 1944 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी कोकण क्षेत्र के रम्पर गांव में हुआ था. 1952 में मन्या अपनी मां और बड़े पिता के साथ मुंबई रहने के लिए आ गया था. मुंबई आने के बाद कई सालों तक वह लोअर परेल की चोल में रहने लगा. मन्या कीर्ति कॉलेज से ग्रेजुएट है और उसने कॉलेज से ही छात्रों के साथ एक गैंग का निर्माण किया था
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उस समय मन्या सुर्वे की गैंग में मुख्य रूप से सुमित देसाई, भार्गव दादा शामिल थे. इस गैंग ने उस समय के प्रसिद्ध पठान डॉन को पूरी तरह भयभीत कर दिया था जो पिछले दो दशकों से मुंबई अंडरवर्ल्ड पर राज कर रहे थे. लेकिन पठान ने भी अपनी विरोधी गैंग केसर ग्रुप को पराजित करने के लिए मन्या सुर्वे की सहायता ली थी. इस गैंग का नेतृत्व दाऊद इब्राहिम का भाई सबीर कसकर कर रहा था
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मन्या की सफलता का यही सबसे सुलझा रहस्य था कि उस समय शहर की सबसे मशहूर गैंग भी उसकी सहायता लेने के लिए आती थी. ऐसा करते हुए मन्या दूसरों को खत्म कर दिया करता था. यह मुंबई के अंडरवर्ल्ड का पहला पढ़ा लिखा गैंगस्टर था. जिसका दादर से आगरा बाजार तक सम्मान किया जाता था. इस समय तक उसने अपनी गैंग में कई भरोसेमंद साथियों को जोड़ लिया था जैसे शेख मुनीर, विष्णु पाटिल की और उदय भी उसकी गैंग में शामिल थे.
मन्या सुर्वे ने साल 1969 में किसी दान्देकर का मर्डर किया और उम्र कैद की सजा पाकर जेल चला गया. दुबई की जेल में मन्या का दबदबा बढ़ने लगा और यह पहले से ज्यादा खुखार हो गया. वह अक्सर जेल में दूसरे गैंग के बदमाशों को पीटता था. जिसके बाद उसे रत्नागिरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन वहां उसने भूख हड़ताल कर दी तबीयत बिगड़ने पर उसे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां 14 नवंबर 1979 को पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया.
इसके बाद मुंबई आया और नए सिरे से नए गैंग की शुरुआत की गैंग ने अपनी पहली डकैती 5 अप्रैल 1980 को की जिसमें उन्होंने एंबेसडर कार चोरी की बाद में पता चला कि इसी गाड़ी का उपयोग करी रोड पर लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी में डकैती के लिए किया गया था. 15 अप्रैल को उन्होंने सामूहिक रुप से हमला किया और शेख मुनीर के दुश्मन शेख अजीज को मार दिया.
जेल से निकलने के बाद मन्या ने एक प्लॉट ले लिया था और फिर सरकारी मिल्क स्कीम की बोली के पैसों को लूटा और मुंबई अंडरवर्ल्ड में फिर से पहचान बनाई. मन्या सुर्वे द्वारा की गई चोरियों में केनरा बैंक डकैती भी शामिल है. लेकिन धीरे-धीरे मन्या सुर्वे की आतंकी गतिविधियां बढ़ती जा रही थी. उसी समय मुंबई पुलिस ने भी क्रिमिनल गतिविधियों करने वाले लोगों का तमाशा देखना बंद कर दिया था, और अब एनकाउंटर करना स्टार्ट कर दिया था. उसी समय इंस्पेक्टर इसाक बागवत और राजा रामभट्ट ने मन्या सुर्वे के केश को अपने हाथ में लिया, और मन्या सुर्वे के खिलाफ ऑपरेशन की शुरुआत कर दी.
22 जून 1981 को पुलिस ने कल्याण के पास की एक केमिकल कंपनी से शेख मुनीर को गिरफ्तार कर लिया. इसके कुछ दिनों बाद पुलिस ने गोरेगांव के एक लाज से दयानंद और परशुराम काटकर को भी गिरफ्तार कर लिया, इसके बाद अपनी गिरफ्तारी से घबराकर मन्या 1981 को भिवंडी चला गया था. और जब पुलिस ने मन्या सुर्वे के घर की तलाशी ली तो उन्हें देश में बने अवैध हथियार और गोला-बारूद मिले. 1982 में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा किए गए काउंटर में मन्या सुर्वे की मौत हो गई, कहा जाता है कि दाऊद इब्राहिम ने मुंबई पुलिस को मन्या सुर्वे को मारने की टिप दे रखी थी, और उसी ने मन्या सुर्वे की लोकेशन की जानकारी पुलिस को दी थी